Saturday, September 27, 2008

समस्या क्या है - सिर्फ एक लाइन की सूचना

देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? जनसंख्या, भ्रष्टाचार, रोजगार,
अशिक्षा, गरीबी, राजनीति, नौकरशाही, लालफीताशाही या कुछ और ? इन सारे
अपराधों में शामिल लोगों में देश के लिए प्यार कहां है ? क्या मातृ भूमि
(मदर लैंड) के लिए प्यार और कर्तव्य भावना का अभाव देश की सबसे बड़ी
समस्या नहीं है ? अगर ऐसा है, तो कारण क्या है ? समाधान का रास्ता क्या
है ? पत्रकार और बुद्धिजीवी क्या कर सकते हैं ? - क्या सिर्फ बकचोदी ? या
फिर दलाली करते हुए चैनलों के मालिक बन जाने वाले। तो फिर देखना होगा,
लाला लाजपत राय, गणेश शंकर विद्यार्थी, महात्मा गांधी से लेकर शहीद भगत
सिंह तक की पत्रकार के रूप में भूमिका क्या रही। उस समय के भी बड़े
पत्रकारों की शामें वायसराय और गवर्नरों के साथ गुलजार हुआ करती थीं।
अंग्रेजों की गुलामी पूरी तरह गई नहीं कि सत्ता के दलाल अमेरिकी बाजार
में बिकने की दलाली में जुट गए हैं। इन्हीं चुनौतियों के बीच एक कारण
मिला है। देश के हर गांव - हर शहर में ऐसे ही उदाहरण हैं। उन्हें एक मंच और
आवाज दिए जाने की जरूरत है। एक हथियार मिला है। सिर्फ एक लाइन की सूचना
है - आजादी के 61 और घटना के 90 साल बाद भी जलियांवाला बाग के शहीदों को
फ्रीडम फाइटर नहीं घोषित किया गया है। - इसी में क्रांति का बीज देख रहा
हूं। खुद से सवाल है, मैं कितना जिम्मेदार हूं ? हम (देशवासी) कितने
जिम्मेदार हैं ? मां की इज्जत लुटने से बचाने के लिए शहीद होने वालों की
इज्जत नहीं करने वाले हम लोग क्या हैं ? आओ, ब्लाग को वैचारिक क्रांति के
मंच के रूप में इस्तेमाल करें। सिर्फ मन के गुबार निकालने के मंच के रूप में नहीं। जाति, संप्रदाय, धर्म, दक्षिण (राइटिस्ट),
वाम (लेफिटिस्ट) जैसे वादों से उठकर राष्ट्रवाद का अलख जगाने के प्रयास
में जुट जाएं ताकि प्रतिभाओं को अमेरिका भगाना न पड़े और सत्ता के दलाल
देश को अमेरिका के हाथों में बेच न डालें। इस माटी से प्यार जग गया तो गुमराह नौजवान भी धमाका-दर-धमाका कर दहशतगर्दी के रास्ते पर भटकते नहीं नजर आएंगे।

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