देखते-देखते बदल गया व्यवहार
कोरोना ने लोगों का व्यवहार बदलना शुरू कर दिया है। घर के अंदर और बाहर की स्थितियों पर सभी अपने-अपने स्तर से चिंतन में लगे हैं। कुछ लोगों के फलते-फूलते व्यापार को ब्रेक लग गया है तो एकाध लोगों का चल भी निकला है। यथा सैनेटाइजर और मास्क का काम देखते ही देखते नंबर वन काम हो गया है। इसी तरह फल, सब्जी और बेकरी के कारोबार में भी बड़ा बदलाव दिख रहा है। तब्लीगियों ने खौफ पैदा कर दिया। दुकानदार भी रस्क (टोस्ट) खरीदने और बेचने के पहले बनाने वाले का ध्यान रख रहे हैं। फल और सब्जी खरीदते समय भी आकलन कर ले रहे हैं कि कहीं ऐसे व्यक्ति से तो नहीं खरीद रहे जिससे जुड़े लोगों के कारण पूरे देश में कोरोना का तेजी से फैलाव हुआ। पहले ही मुश्किलें कम नहीं थीं। तब्लीगियों ने परेशानी कई गुना बढ़ा दी है। सामाजिक व्यवहार ही बदल दिया है।
कोरोना वार में मोबाइल के दावेदार
मम्मी! सुबह सात बजे से क्लास है। 11 बजे तक चलेगी। बीच में 9: 30 से 10 बजे तक का ब्रेक होगा। जब पूरा देश कोरोना के कारण घरों में कैद है, महिलाओं की ड्यूटी बढ़ गई है। समय से नाश्ते व खाने का प्रबंध करने में कोई रियायत नहीं है। पहले सभी के स्कूल-कॉलेज, दफ्तर-दुकान चले जाने पर थोड़ी चैन की सांस ले लेती थीं। टीवी सीरियल देख लेती थीं। मोबाइल पर सोशल मीडिया के जरिए नाते-रिश्तेदारों-दोस्तों से अपडेट हो जाती थीं। गेम भी खेल लेती थीं। अब तो रामायण के समय ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चे टीवी की आवाज (साउंड) को भी नियंत्रित रख रहे हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल मोबाइल के दावेदारों के कारण है। पहले बच्चों को इससे दूर रखा जाता था। लॉक डाउन के कारण नए मोबाइल की खरीद हो नहीं सकती। ऐसे में माता-पिता में एक या दोनों को एक और समझौता करना पड़ रहा है।
डॉक्टरोंं को लगा थानेदारोंं का रोग
कोरोना के कारण लोगों का व्यवहार बदल रहा है। मौत या दुर्घटना होने पर थाने का झगड़ा उभरकर सामने आता रहा है। पीड़ित एक थाने से दूसरे थाने तक केस दर्ज कराने के लिए चक्कर लगाते हैं। बीच सड़क के दाएं या बाएं होने पर थाना क्षेत्र बदल जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति कोरोना ने कर दी है। मरीजों की संख्या बढ़ते ही जिला और क्षेत्र के यलो और रेड जोन में डाल दिया जाता है। प्रशासनिक सख्ती और चिकित्सकीय परेशानी बढ़ जाएगी। आंकड़ों का यही दबाव डॉक्टरों पर हावी होता दिख रहा है। मैके रोहतक गई महिला पीजीआइ में जांच के दौरान पॉजीटिव पाई गई। स्वस्थ होकर पानीपत के नौल्था गांव स्थित ससुराल लौट आई। एक तरफ गांव वाले उसे गांव में रहने नहीं देना चाहते। दूसरी तरफ रोहतक और पानीपत के चिकित्सा अधिकारी पॉजिटिव केस को अपने-अपने क्षेत्र का मानने के लिए तैयार नहीं हैं।मजदूरों की कमी का डर
कोरोना संकट समाप्त होने के बाद उद्योगों को मजदूरों की कमी का डर सता रहा है। लॉक डाउन के कारण औद्योगिक मजदूर न अपने घर लौट सके और न ही उद्योगों में कोई काम कर पा रहे हैं। गेहूं की फसल काटने के लिए बड़ी संख्या में पूवार्ंचल के लोग हर वर्ष एक महीने तक की छुट्टी पर जाते रहे हैं। कोरोना के कारण पूरा आवागमन चR गड़बड़ा गया है। उद्यमियों और कारोबारियों की चिंता है कि मुश्किल समय में परिवार से दूर रह रहे लोग लॉक डाउन खुलते ही तेजी से अपने-अपने गांवों की ओर जाएंगे। कारोबारियों में इसी बात की चर्चा है कि बदले हालात में पहले ही भारी नुकसान ङोल रहा उद्योग व कारोबार जगत किस तरह खुद को संभालेगा। संकट ऐसा है कि कुछ करते नहीं बन रहा। अभी सरकारी संकेत और अधिकारियों के निर्देश पर कर्मचारियों के वेतन और भोजन का प्रबंध मजबूरी भी है।
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