Tuesday, November 11, 2008

कैसे पैदा होगा भारत का ओबामा

मुद्दा है भारतीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से अमेरिकी राष्ट्पति इन वेटिंग बराक ओबामा द्वारा बात नहीं करना । यह भले ही संयोग हो, लेकिन हुआ बहुत अच्छा है ।`अमेरिकी गांधी' मार्टिन लूथर किंग का सपना पूरा होने जा रहा है । आदमी को आदमी नहीं समझने वाले गोरों के देश में बराक ओबामा भावी राष्ट्रपति के रूप में चुने जा चुके हैं । वहीं के काले हैं जिस अफ्रीका में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य के प्रयोग शुरू किए थे । गांधी की प्रेरणा से पहले दक्षिण अफ्रीका आजाद हुआ और नेल्सन मंडेला वहां के राष्ट्रपति बने । अब बराक ओबामा सुपर पावर अमेरिकी में आम आदमी के प्रति संवेदना के प्रतीक के रूप में राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं । अभी वह सिर्फ प्रतीक हैं क्योंकि अमेरिका में असली सत्ता उन कार्पोरेटों के हाथ में है, जो हर हाल में सबकुछ बेचना जानते हैं। इराक सहित अरब देशों पर इसलिए हमला बोल देते हैं कि तेल के भंडारों पर कब्जा कायम रह सके । ओबामा सही में आम आदमी के प्रतीक बने रह पाएंगे या कोर्पोरेटों के हाथों में खिलौना बन हथियार और ड्रग्स माफियाओं (कारोबारियों ) के हितों के पोषक हो जाएंगे, यह आने वाले समय में तय होना है । अभी तो मुद्दा बात नहीं करना है । यह भले ही संयोग हो, लेकिन हुआ बहुत अच्छा है । इसमें दो राय नहीं कि डा. मनमोहन भारत के आम आदमी की पसंद नहीं हैं । उनपर तथा उनके प्रिय मोंटेक सिंह पर वर्ल्ड बैंक का ... होने का आरोप लगता रहा है । डा. मनमोहन किसी व्यक्ति विशेष (महिला) की पसंद है। दूसरी तरफ ओबामा आवाम की पसंद हैं । असली मुद्दा तो यह है कि जिस गांधी बाबा ने काले अफ्रीकियों के दिलों में जागृति के दीप जला दिए, उनके अपने देश में ओबामा कब पैदा होगा । जरा गौर से देख लें । भारत की सत्ता पर अभी भी गोरों के दलाल ही काबिज हैं । वही राज कर रहे हैं जिनके दादा - परदादाओं ने अंग्रेजों की दलाली की थी । स्वतंत्रता सेनानियों को तो पहले ही भुला दिया गया था, आजादी को बचाए रखने के लिए कुर्बानी देने वाले देश के 75 लाख फौजी भी उपेक्षा के शिकार हैं । आंदोलन कर रहे हैं । जरा अपने अगल बगल देखें । कितने विधायक और सांसद ऐसे हैं जिनके पूर्वजों ने अंग्रेजों की दलाली नहीं की । गिने - चुने होंगे । कुछ ईमानदारी का चोला ओढ़े रूस और चीन के दलाल नजर आएंगे तो कुछ पूंजीवादी अमेरिका और यूरोप के । कुछ कार्पोरेट घरानों के दलाल । कुछ जाति के दलाल, कुछ संप्रदाय और पंथ के तो कुछ धर्म के दलाल मिलेंगे । आम भारतीय का प्रतिनिधि किस तरह सत्ता शीर्ष पर पहुंचेगा । गांधी के रूप में आम भारतीय को सत्ता शीर्ष पर पहुंचाने का जय प्रकाश नारायण ने एक बार प्रयास तो किया था, लेकिन तब तक वह खुद बहुत बूढ़े हो गए थे । उनके बाइ-प्रोडक्ट या यूं कहें वेस्ट प्रोडक्ट भी दलाली कर सत्ता शीर्ष पर पहुंच गए । बहुत कम होंगे जिन्हें लोकसभा भेजने के लिए आम जनता अपने पल्ले से खर्च करती है । ऐसे भारत को झटका देकर ओबामा ने कुछ गलत किया क्या ?

2 comments:

222222222222 said...

विश्लेषण अच्छा है। बधाई।

Anonymous said...

Bhaiya bahut bahut badhai !
Aapki mehnat rang layi..

-Mano